Saturday, February 6, 2010

वो ........मेरी माँ


बचपन से लेकर सावन तक,
चौराहे से लेकर घर के आँगन तक,
हर राह,हर डगर पर,
हर शाम,हर सहर पर,
जिसने हाथ थाम लिया,
इस दिल ने उसे माँ कह दिया...


फैला दिया जिसने प्यार का दामन,
सुला दिया जो तूने ओढ़ा कर आँचल,
सुख में भूले,दर्द में सिर्फ जिसका नाम लिया,
भूल अपने सुख,जो हर पल अपनों के लिए जिया,
इस दिल ने उसे माँ कह दिया....


बिखर गया जो देख आंसू हमारे,
झूम उठा जो बांध मुझको सहरे,
हाथो में मेहँदी लगा,मुझे किसी और को सौप दिया,
बचपन की परवरिश का ना तूने कभी सौदा किया,
तेरी हर अदा के लिए,
ओ मेरी माँ, इस दिल ने शत-शत तुझको नमन किया!!!!!!!!!!!

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